Salakaar Review— Naveen Kasturia और Mouni Roy की ये स्पाई थ्रिलर प्लॉट में गहराई से नहीं उतरती, तेज रफ्तार के चक्कर में रियलिज़्म कुर्बान कर देती है।
Salakaar Review
- Cast: Naveen Kasturia, Mouni Roy, Mukesh Rishi, Surya Sharma, Purnendu Bhattacharya, Ashwath Bhatt
- Director: Faruk Kabir
- Where to watch: JioHotstar
- Rating: ★★
Salakaar एक दमदार फिल्म बन सकती थी, लेकिन बनी मिनीसीरीज़—पांच एपिसोड, हर एक 30 मिनट का. कुल रनटाइम करीब 2.5 घंटे (ढाई घंटे) है और आजकल के 6 घंटे लंबे आर्क्स के दौर में यह राहत देता है. राहत इसलिए नहीं कि इसमें पकड़ मजबूत है या थ्रिल लाजवाब हैं, बल्कि इसलिए कि ये आपकी सहनशक्ति ज़्यादा देर नहीं आज़माती. कई स्पाई थ्रिलर्स की तरह Salakaar का दिल अपनी जगह सही है—दुर्भाग्य से बाकी चीज़ें गड़बड़ हैं.
सीरीज़ दो टाइमलाइन्स में चलती है. 2025 में RAW एजेंट मरियम उर्फ़ सृष्टि (Mouni Roy) पाकिस्तानी कर्नल अशफाकुल्लाह (Surya Sharma) की परमाणु बम बनाने की योजना को नाकाम करने में लगी है. उसकी मदद को आता है ‘salahakar’, यानी National Security Advisor (Purnendu Sharma), जिसका उस पाक कर्नल से पुराना हिसाब-किताब है. फ्लैशबैक में 1978—पता चलता है कि यही NSA कभी पाकिस्तान में फील्ड ऑपरेटिव था (Naveen Kasturia as Adhir Dayal), जो जनरल जिया (Mukesh Rishi) को न्यूक्लियर रिएक्टर विकसित करने से रोक रहा था.

ऐसी कहानियां पहले भी कई फिल्मों-शोज़ में दिखी हैं—पहले रिलीज़ हो चुकी Mission Majnu और Rocket Boys, और आने वाली Saare Jahan Se Acha. Salakaar को नई बना सकता था उसका ट्रीटमेंट—यहीं आकर शो लड़खड़ा जाता है. तेज रफ्तार और लगातार एक्शन आपको कुछ देर बांधते हैं, लेकिन किरदारों से जुड़ने का मौका कभी नहीं मिलता. स्ट्रीमिंग की खासियत है कि यहां किरदारों को विस्तार देने, आर्क्स बनाने और प्लॉट को सलीके से चलाने के लिए वक्त होता है. Salakaar इस सबकी कुर्बानी देकर स्पीड चुनता है—और आप सोचते रह जाते हैं कि शायद ये बड़े बजट और बड़े स्केल वाली फिल्म के रूप में बेहतर होती.
Mouni Roy, Salakaar में पाकिस्तान में एम्बेडेड एक जासूस की भूमिका निभाती हैं.
Salakaar की सबसे बड़ी कमी है बारीकियों पर ध्यान न देना. OTT के दौर में जहां एक्यूरेसी और रियलिज़्म ही शो को अलग पहचान देते हैं, Salakaar सीधे 80 के दशक की उन आदतों की याद दिलाता है जहां यथार्थवाद सिर्फ एक ख्याल था. कर्नल्स जनरल्स के लिए निर्धारित गाड़ियों में घूमते हैं, हाई कमीशन को बार-बार एम्बेसी कहा जाता है (फर्क बड़ा है), और कोवर्ट ऑपरेशंस खुलेआम होते दिखाई देते हैं. ये नुक्ताचीनी नहीं है—जब आप भारत के अतीत की एक सच्ची कहानी के पर्दे के पीछे की दुनिया दिखाने का दावा करते हैं, तो सही और वास्तविक होने की कोशिश न करना गंभीर भूल है.

इसके ऊपर से, शो में नज़ाकत यानी सबलेटिटी का नामोनिशान नहीं. कभी Argo जितना ग्रिटी बनने की कोशिश, तो कभी Kingsman जितना खिलंदड़ा—टोन बार-बार उछलता है. जासूस, जिसे बिल्कुल घुल-मिल कर काम करना चाहिए, अपने कवर में बकटीथ और मज़ाकिया एक्सेंट अपनाता है—सबसे बुनियादी नियम की ही अनदेखी. और जब शो खुद को हल्का-फुल्का भी बनाता है, तब भी आत्म-आलोचना की कमी इसे ढंग की पैरोडी बनने नहीं देती.
Mukesh Rishi, General Zia के रूप में स्क्रीन पर दबदबा बनाए रखते हैं.
परफॉर्मेंस की बात करें तो युवा NSA के रूप में Naveen Kasturia शो की कुछ बची-खुची उम्मीदों में से एक हैं—एक्शन में भी सहज और किरदार में पूरी तरह ढलते दिखते हैं. Mouni Roy को बहुत कम स्पेस मिला—जहां वो खुद एक सक्षम स्पाई हैं, वहीं उन्हें अक्सर ‘दामसेल-इन-डिस्ट्रेस’ बनाकर पुरुष किरदारों द्वारा बचाया जाता दिखाया गया. जो थोड़ा मिला, उसमें वो नर्मी और दमख़म दोनों दिखाने की कोशिश करती हैं. सबसे बड़ा सरप्राइज Mukesh Rishi हैं—ओवर-द-टॉप ज़िया होने के बावजूद उनकी स्क्रीन प्रेज़ेंस डर पैदा करती है और विलन का खतरा असल लगता है—शो कुछ हिस्सों में इसलिए काम करता है. Surya Sharma और Ashwath Bhatt जैसे नैचुरल एक्टर्स को ज़रूरत से ज़्यादा ओवर करने दिया गया—डायरेक्टर Faruk Kabir की ये बड़ी चूक है.
Salakaar, NSA Ajit Doval—अपने चरम पर रहे स्पायमास्टर—को ट्रिब्यूट बनने की कोशिश है. मंशा ये दिखाने की है कि मैदान में उन्होंने क्या-क्या हासिल किया. Purnendu Sharma के गेटअप से लेकर Naveen Kasturiya के काल्पनिक नाम तक—सब कुछ उनकी ओर इशारा करता है. लेकिन ट्रिब्यूट तभी काम करते हैं जब वो बेहतर बनाए जाएं; वरना जिसकी महिमा गाने निकले थे, उसी के साथ बेअदबी हो जाती है. Salakaar यही करता है. ‘India के Argo’ की खोज अभी जारी है…