INDIA’ March नई दिल्ली में गरमा गया सियासी पारा: राजधानी दिल्ली ने सोमवार को बड़े सियासी ड्रामे का गवाह बना, जब विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ के सांसद बिहार में मतदाता सूची संशोधन और 2024 लोकसभा चुनाव में कथित ‘वोट धोखाधड़ी’ के खिलाफ संसद से चुनाव आयोग तक मार्च निकाल रहे थे। लेकिन रास्ते में पुलिस बैरिकेड, नारेबाज़ी, सड़क पर धरना और फिर सामूहिक हिरासत — घटनाक्रम तेज़ी से गरमा गया।

बैरिकेड पर चढ़े अखिलेश, सडक पर बैठा विपक्ष
परिवहन भवन के पास लगाए गए बैरिकेड के सामने पुलिस ने मार्च रोक दिया। पुलिस का कहना था कि इस रैली के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी और चुनाव आयोग ने सिर्फ 30 सांसदों को मिलने की इजाज़त दी थी। लेकिन माहौल तब गरमाया जब समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव बैरिकेड कूदकर बीच सड़क धरने पर बैठ गए। तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा, सुष्मिता देव, कांग्रेस सांसद संजना जाटव और ज्योतिमणि भी बैरिकेड पर चढ़ गईं और जोरदार नारे लगाए — ‘श्रीमान + वोट चोरी = लोकतंत्र की हत्या’ लिखे बैनरों के साथ।
राहुल-प्रियंका भी हिरासत में
जब सांसदों ने हटने से मना किया तो कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई विपक्षी सांसदों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पुलिस के मुताबिक, उन्हें पास के थाने ले जाया गया और बाद में छोड़ दिया गया।
राहुल गांधी का आरोप था — “यह लड़ाई अब राजनीतिक नहीं है, यह संविधान और एक व्यक्ति-एक वोट के हक की लड़ाई है। 300 सांसद चुनाव आयोग से मिलना चाहते थे, लेकिन हमें रोक दिया गया। वे डर गए हैं।”
प्रियंका गांधी ने भी सरकार पर कायर होने का आरोप लगाया: “हमने हिम्मत की, इसलिए सरकार डर रही है।”

मार्च से पहले राष्ट्रगान, सिर पर ‘वोट चोरी’ वाली टोपी
मार्च शुरू करने से पहले संसद के मकरद्वार पर विपक्षी सांसदों ने राष्ट्रगान गाया। सफेद टोपी पर लाल क्रॉस के साथ ‘SIR’ और ‘वोट चोरी’ लिखे नारे, हाथों में बैनर— यह विरोध प्रदर्शन कैमरों में खूब कैद हुआ। द्रमुक, राजद, वामपंथी दल, शिवसेना (उद्धव गुट) और टीएमसी समेत कई दलों के वरिष्ठ नेता इसमें शामिल थे।
पुलिस की दलील: अनुमति सिर्फ 30 सांसदों को
नई दिल्ली के संयुक्त पुलिस आयुक्त दीपक पुरोहित ने कहा — “चुनाव आयोग से 30 सांसदों की अनुमति थी, लेकिन वे बड़ी संख्या में आए, इसलिए रोका गया। अगर नाम मिल जाते, तो उन्हें आयोग तक ले जाते।” पुलिस का कहना था कि वैकल्पिक रूप से पैदल या वाहन से 30 सांसद आयोग तक जा सकते थे, पर विपक्ष इसके लिए राज़ी नहीं हुआ।
नेताओं के तीर सरकार पर
- शशि थरूर: “अगर लोगों को चुनाव की निष्पक्षता पर शक है, तो यह आयोग की विश्वसनीयता को नुक़सान है। जवाब विश्वसनीय होने चाहिए।”
- जयराम रमेश: “चुनाव आयोग अब ‘चुराओ आयोग’ बन गया है। हमें सामूहिक रूप से दस्तावेज़ सौंपने नहीं दिया गया।”
- केसी वेणुगोपाल: “सांसदों को 30 सेकंड भी मार्च की अनुमति नहीं, यही है लोकतंत्र की हालत!”
- रणदीप सुरजेवाला: “जेल की सलाखें हमें नहीं रोक पाएंगी— वोट हमारा, छू के देख!”
ड्रामा के बीच तबीयत बिगड़ी
मार्च के दौरान टीएमसी सांसद मिताली बाग और कांग्रेस की संजना जाटव की तबीयत बिगड़ गई। मिताली बेहोश हो गईं और संजना को तुरंत आरएमएल अस्पताल ले जाया गया।
‘शांतिपूर्ण’ लेकिन उग्र माहौल
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, “हम शांतिपूर्ण विरोध कर रहे हैं, आदर्श महात्मा गांधी हैं।” मगर पुलिस-राजनीति की नोकझोंक ने इसे तीखा रंग दे दिया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे बोले, “30 सांसद चुनना सभी दलों के लिए नामुमकिन है। सरकार किससे डर रही है?”
AAP नेता अनुराग ढांडा ने इसे “लोकतंत्र का काला दिन” बताया और आरोप लगाया कि बीजेपी-चुनाव आयोग गठजोड़ के साथ मतदाता सूची में जानबूझकर गड़बड़ी कर रहे हैं।
पीछे की असली वजह
विपक्ष का आरोप है कि बिहार की ‘स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न’ (SIR) प्रक्रिया का इस्तेमाल आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूची में हेरफेर के लिए किया जा रहा है। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से इस विवाद में बार-बार ठप है और अंगूठा अभी भी एक ही मुद्दे पर अटका हुआ है— “मतदाता सूची से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं।”